डॉ. भीमराव अंबेडकर मैदान अफरीद में धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस और अंबेडकर मेले का भव्य आयोजन

डॉ. भीमराव अंबेडकर मैदान अफरीद में धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस और अंबेडकर मेले का भव्य आयोजन
अफरीद, 27 अक्टूबर 2024: डॉ. भीमराव अंबेडकर मैदान, गौरव ग्राम अफरीद में रविवार को धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस और डॉ. अंबेडकर मेला का आयोजन बुद्ध अंबेडकर मिशन प्रचार समिति के तत्वाधान में हुआ। इस कार्यक्रम में गौरव ग्राम अफरीद का विशेष योगदान रहा, और यह कार्यक्रम भंते धम्मघोष जी, भंते अश्वघोष जी, और भंते जयवर्धन जी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ बुद्ध पूजा वंदना और त्रिशरण पंचशील से हुआ, जिसके बाद धम्म रैली निकाली गई, जिसमें भारी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से भी बौद्ध धर्म और अंबेडकर के विचारों को प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने बुद्ध और अंबेडकर जी की प्रतिमा के समक्ष कैंडल जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि माननीय एसपी वैद्य अपर कलेक्टर जांजगीर थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता संजय गढ़वाल अध्यक्ष केंद्रीय कमेटी सूर्यवंशी समाज जांजगीर-चांपा कोरबा सक्ति परिक्षेत्र ने की। विशिष्ट अतिथियों में रामकुमार सोनवानी महासचिव केंद्रीय सूर्यवंशी समाज, उदल किरण जी, एडवोकेट लीलेश्वर रत्नाकर, राधेश्याम सूर्यवंशी, जसपाल दरवेश, मनमोहन सिंह गोंड़ अध्यक्ष आदिवासी समाज बिलासपुर संभाग, डॉ. कुंज किशोर, बी आर रत्नाकर, डॉ. बृजमोहन जागृति, डॉ. धनेश्वरी जागृति, अंजुला सोनवानी, रूपा सिंह और अन्य सम्मानित अतिथिगण शामिल रहे। इन सभी गणमान्य व्यक्तियों ने अपने उद्बोधनों में बौद्ध धर्म और डॉ.अंबेडकर के विचारों की महत्ता पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का संचालन अशोक बनवा और सावन गुजराल सांस्कृतिक सचिव केंद्रीय सूर्यवंशी समाज जांजगीर-चांपा कोरबा सक्ति परिक्षेत्र द्वारा कुशलता से किया गया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर एसपी वैद्य ने कार्यक्रम में बौद्ध विहार निर्माण के लिए अपना योगदान देने का आश्वासन भी दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कर्मयोग सेवा संस्थान, लता आनंद, राकेश आनंद, और निशा बौद्ध के अद्भुत प्रदर्शन रहे। इन प्रस्तुतियों ने बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और डॉ.अंबेडकर के संदेश को मनोरंजक और प्रेरणादायक ढंग से दर्शकों के सामने रखा।

इस भव्य आयोजन ने न केवल स्थानीय ग्रामवासियों बल्कि आसपास के गांवों से आए सैकड़ों लोगों को भी बौद्ध धर्म और डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों के प्रति जागरूक किया। आयोजकों और सभी प्रतिभागियों ने इसे एक ऐतिहासिक अवसर बताया, जो समाज में एकता, शांति और सद्भाव के संदेश को और भी मजबूत करेगा।